Giridih : गिरिडीह शहर के गांधी चौक के पास बीते देर शाम नाले में बह गये दो साल के मासूम अंकुश ठाकुर की बॉडी मिली है। उसकी बेजान शरीर स्पॉट के करीब दो किलोमीटर दूर रानी सती तालाब में मिली। करीब 18 घटे की बेचैन तलाश के बाद अंकुश ठाकुर हर किसी को रुला गया। नाले की तेज धार ने मासूम की मासूमियत को निगल लिया और उसकी छोटी-सी दुनिया हमेशा के लिए शांत हो गई। शव को पुलिस ने सदर अस्पताल में लाकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की। अस्पताल के बाहर हजारों लोग जमा हो गए, लेकिन भीड़ में भी हर कोई उस मासूम की अनकही कहानी से स्तब्ध था। वहीं परिजनों की आंखों से लोर झर-झर गिर रहे थे। मंदिर की चौखट पर मां का सिर पटकना अब थम चुका था। उसकी उम्मीद मासूम बेटे की लाश देख खत्म हो गयी। उसकी दुनिया उजड़ चुकी थी। अंकुश के माता-पिता का चीख-चित्कार कर रोना-बिलखना वहां मौजूद हर किसी का कलेजा दरका गया।
कैसे क्या हुआ था…
यहां याद दिला दें कि बारिश भरी बीती शाम, जब गांधी चौक पर हर कोई अपने सामान समेटकर भाग रहा था, अंकुश अपनी मां की गोद में बैठकर बूंदों की नर्म ठंडक महसूस कर रहा था। मां की हथेली उसके सिर पर थी, मानो कह रही हो, “डर मत बेटा, मां है न।” लेकिन किसे पता था कि यह सुकून भरी छाया जल्द ही एक खामोश चीख में बदल जाएगी। तेज बहाव ने अंकुश को मां की गोद से फिसल कर नाले की ओर बहा दिया। “अम्मा!” की हल्की सी आवाज़ उसकी आखिरी पुकार बन गई। माता-पिता ने हर संभव कोशिश की, पर पानी की तेज़ धार किसी निर्दयी राक्षस की तरह उसे ले गई। रातभर पुलिस और प्रशासन की टीम ने नाले और आसपास के क्षेत्रों में तलाश की। मंदिर की घंटियों के बीच मां ने अपने बेटे की सलामती के लिए प्रार्थना की, लेकिन सुबह की रोशनी में भी उनका लाडला लौट कर नहीं आया। अंकुश ठाकुर इकलौता बेटा था। माता-पिता के सपने उसी पर टंगे थे – डॉक्टर बनने का, इंजीनियर बनने का। अब उन सपनों के बीच बस आंसू और खालीपन रह गया। गिरिडीह का यह दर्दनाक हादसा शहर के हर दिल को झकझोर गया।
