जमशेदपुर से सटे घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की घोषणा कर दी गई है।
यह चुनाव नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही संपन्न होगा,
जिसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को औपचारिक रूप से कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया।
झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर आगामी नवंबर महीने में उपचुनाव होने जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के साथ ही घाटशिला (अनुसूचित जनजाति- एसटी आरक्षित) विधानसभा उपचुनाव के लिए कार्यक्रमों की घोषणा कर दी गई। घाटशिला में 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को वोटिंग होगी।
सीटिंग विधायक और तत्कालीन मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण यहां उपचुनाव आवश्यक हो गया था। रामदास सोरेन का अगस्त 2025 में आकस्मिक निधन हो गया था। नियमानुसार, सीट खाली होने के छह महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है।
घाटशिला विधानसभा उपचुनाव 2025 की तिथि
तारीखों की घोषणा और तैयारी
भारत निर्वाचन आयोग सोमवार को उपचुनाव की तारीखों का आधिकारिक ऐलान किया गया।
इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से चुनाव को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई थी। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसएसआर) के बाद 29 सितंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की गई है।
घाटशिला उपचुनाव में पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन के उम्मीदवार हो सकते हैं। जेएमएम की ओर से उम्मीदवार का नाम ऐलान किए जाने से पहले सोमेश सोरेन के हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री भी बनाए जाने की संभावना है। वहीं भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
मतदाताओं की संख्या और समीकरण
अंतिम सूची के अनुसार, घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,55,823 मतदाता हैं, जो पिछली सूची से 4,456 अधिक हैं। इनमें 1,24,899 पुरुष और 1,30,921 महिला मतदाता शामिल हैं, यानी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। मतदान के लिए कुल 300 केंद्र बनाए गए हैं।
घाटशिला सीट पारंपरिक रूप जेएमएम का गढ़
यह सीट पारंपरिक रूप से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गढ़ रही है। दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के परिवार से, खासकर उनके बेटे सोमेश सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की ओर से प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावना है। वहीं, मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी यह सीट जीतने की पूरी कोशिश करेगी। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलने की उम्मीद है, क्योंकि यह उपचुनाव दोनों गठबंधनों के लिए राज्य में अपनी ताकत साबित करने का एक अवसर होगा।
